Wednesday, 15 October 2008

प्यार कर ,प्यार का इजहार भी कर ...

प्यार कर...

प्यार का इजहार भी कर

पर ...इस कदर नहीं ...

की आसमान का दिल चटके

और...जमीन धुंआ -धुंआ हो जाए !



तुझे खूबी है ...

आंखों की इबारत पढ़ने की

शौक से पढ़

पर ...इस कदर नहीं

की खामोशियों की कमान पर

अफवाहों के बाण तन जायें !!

Tuesday, 14 October 2008

आज का आकाश बांधो ...

शुक्ल-पक्षी रात का, जादू घनेरा हो गया ।
कौन चुपके से तुम्हारा , दुध से मुंह धो गया । ।

गंध किसलय पी समीरण
फिर रहा है तन उघारे
छू रहे तुमको सहम कर
सांस झोंके ये बेचारे

मेरे हाथों हाथ तेरा ,शशक - शावक हो गया ।
कौन चुपके से तुम्हरा , दूध से मुंह धो गया । ।

आबनूसी केश बांधो
अब हया की रेख लान्घो
मत होंठ चाबो कुनमुना कर
आज का आकाश बांधो

उर्मियों मैं झील की ,को संगमरमर धो गया ।
कौन चुपके से तुम्हारा , दूध से मुंह धो गया । ।